बेंगालुरू
कर्नाटक में वर्ष 2018 से जून 2022 के बीच कम से कम 21 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। तीन हत्याएं तो पिछले 10 दिनों के अंदर ही हुई हैं। जब से अपराध ब्यूरो ने (2000 से) राजनीतिक वजहों से हुई हत्यायों को वर्गीकृत करना शुरू किया है तब से सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि कर्नाटक में एक साल में औसतन लगभग पांच हत्याएं हुई हैं। राज्य में ऐसी 120 से अधिक हत्याएं हो चुकी हैं।
हमारे सहयोगी टीओआई के विश्लेषण से पता चलता है कि जब एसएम कृष्णा मुख्यमंत्री थे तो सबसे कम हत्याएं (17) हुई थीं। और जब सिद्धारमैया सीएम थे तो सबसे ज्यादा 34 हत्याएं हुई थीं।। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में हत्या के काई कारण हो सकते हैं।
पिछले 10 दिनों की बात करें तो मेंगलुरू में नकाबपोश हमलावरों ने मोहम्मद फाजिल नामक शख्स पर उस समय हमला कर दिया था, जब वे अपनी दुकान के बाहर खड़े थे। धारदार हथियार से हमले में वह बुरी तरह घायल हो गए थे और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई थी। इससे पहले 26 जुलाई को साउथ कन्नड़ जिले में भाजयुमो नेता प्रवीण नेट्टारू की कुल्हाड़ी से निर्मम हत्या कर दी गई थी। दक्षिण कन्नड़ में ही इससे पहले 19 जुलाई को एक और युवक मोहम्मद मसूद पर आठ लोगों ने हमला कर दिया था। बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने दावा किया कि पिछली सरकारों ने सभी मामले दर्ज नहीं किए और राजनेताओं ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) जैसे संगठनों को प्रोत्साहित किया जो अत्यधिक धार्मिक विचार रखते हैं। सिद्धारमैया ने विभिन्न संगठनों से जुड़े लगभग 2,000 सदस्यों के खिलाफ मामले वापस ले लिए जिससे ऐसे लोगों का हौसला बढ़ा। हमारी सरकार सभी मामलों को दर्ज कर रही है और उन सभी को तार्किक अंत तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन जद (एस) के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी ने तर्क दिया कि भाजपा सरकार कर्नाटक में स्थिति खराब कर रही है जो शांति और सद्भाव के लिए एक आदर्श राज्य हुआ करता था।