भोपाल
श्योपुर जिले के चैनपुरा बरावाज की 8वीं कक्षा की गौरी अब लाड़ली लक्ष्मी योजना की मदद से अपनी पढ़ाई जारी रख सकेगी। उसके पिता हरिराम आदिवासी और माता दुलारी आदिवासी मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं। किसी तरह से उन्होंने गौरी को कक्षा 8वीं तक पढ़ाया। कक्षा 9वीं के लिए गाँव के बाहर जाने और आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण माता-पिता ने गौरी की पढ़ाई बंद कराने का निर्णय लिया।
गाँव की कई लड़कियों की पढ़ाई इसी कारण छूट गई थी। परन्तु गौरी आगे पढ़ना चाहती थी, उसने अपने साथ गाँव के बाहर जाकर पढ़ाई करने के लिये दो सहेलियों को तैयार किया। गौरी और उसकी सहेलियों ने आँगनवाड़ी दीदी को बताया कि हम आगे पढ़ना चाहते हैं।
आँगनवाड़ी दीदी ने गौरी के माता-पिता से बात कर गौरी का लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकरण की जानकरी दी। उसे कक्षा 9वीं में 4 हजार रूपये छात्रवृत्ति और अब कक्षा 11वीं और 12वीं में 6 हजार छात्रवृत्ति मिलेगी। यदि गौरी पढ़ाई बीच में छोड़ देती है, तो उसे लाड़ली लक्ष्मी योजना के लाभ की एक लाख रूपये की राशि नहीं मिलेगी। आँगनबाड़ी कार्यकर्ता ने सुझाव दिया जिस स्कूल में गाँव की लड़कियाँ पढ़ रही है उसी में गौरी भी पढ़ सकती है। आँगनवाड़ी दीदी ने यह भी बताया कि अब राज्य सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी बेटियों को कक्षा 12वीं के बाद स्नातक अथवा व्यवसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर 25 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि देने का भी निर्णय लिया है। उच्च शिक्षा का शिक्षण शुल्क शासन द्वारा वहन किया जायेगा। गौरी के माता-पिता इस बात पर सहमत हो गये और उसका शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हजारेश्वर में कक्षा 9वीं में एडमिशन करा दिया। अब गौरी खुश है। वह अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2007 से संचालित लाड़ली लक्ष्मी योजना के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। योजना के प्रारंभ से अब तक 42 लाख 67 हजार बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है और कक्षा 6वीं, 9वीं, 11वीं एवं कक्षा 12वीं में प्रवेशित 9 लाख 5 हजार बालिकाओं को 231 करोड़ 7 लाख रूपये की छात्रवृत्ति दी गई।