गुवाहाटी
75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले असम के प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (ULFA-I) ने एक बार फिर सिर उठाया है। संगठन ने लोगों से स्वतंत्रता दिवस समारोह का बहिष्कार करने की अपील की है। बता दें कि पिछले साल इस संगठन ने शांति बना रखी थी और ऐसी कोई अपील नहीं की थी। 1996 के बाद से पहली बार ऐसा हुआ था। सरकार ULFA-I से शांति वार्ता करने का प्रयास कर रही थी लेकिन उसके इस कदम से इसमें भी बाधा पैदा हो सकती है। शनिवार को ULFA-I और दूसरे प्रतिबंधित आतंकी संगठन के युंग आंग गुट ने बयान जारी करके कहा कि असम, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय के लोगों को इस 'फर्जी आजादी की गतिविधियों' में भाग नहीं लेना चाहिए।इस बयान में कहा गया कि 14 अगस्त की मध्य रात्रि से ही शटडाउन शुरू हो जाएगा और यह अगले दिन के शाम 6 बजे तक जारी रहेगा। आपातकाल विभाग, मीडिया और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए छूट रहेगी।
इस संगठन ने कोरोना महामारी के बाद महंगाई और मंदी की बात करते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस मनाना बेकार है। बयान में कहा गया, 'यह राज्य के लिए बेकार और गैरजरूरी है। हम आजादी के 75 साल पूरे होने पर समारोह करने जा रहे हैं लेकिन लोगों का जीवन स्तर गिर गया है। इसलिए इस आयोजन के कोई मायने नहीं हैं।' बता दें कि 42 साल के इतिहास में पिछली साल पहली बार ULFA ने स्वतंत्रता दिवस समारोह का बायकॉट नहीं किया था और न ही बंद का आह्वान किया था।
ULFA से बात करना चाहता था केंद्र
1979 में ULFA के अस्तित्व में आने के बाद से ही यह स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करता रहा है। यह गणतंत्र दिवस पर भी विरोध प्रदर्शन करता रहा है। मई 2021 से असम में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता दूसरी बार आई है। सरकार यह प्रयास करती रही है कि ULFA केंद्र के साथ शांतिवार्ता करे। मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा सरमा ने इस बात के संकेत दिए थे कि जल्द ही बातचीत शुरू होगी।
आतंकी संगठन ने क्या रखी शर्त?
ULFA ने बातचीत से पहले ही शर्त रख दी थी कि वह असम की संप्रभुता को लेकर बात करना चाहता है। इसके बाद केंद्र ने कोविड-19 का हवाला देते हुए बातचीत टाल दी। पिछले साल मई में संगठन ने अपनी तरफ से सीजफायर का भी ऐलान किया था जो कि अब भी जारी है।