बीजापुर
नक्सलियों ने लगभग पांच वर्ष बाद शहीदी सप्ताह के अंतिम दिवस 3 अगस्त को बड़ी संख्या के बीजापुर-सुकमा के सरहदी इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी में हुई सभा के पहले जंगल के भीतर रैली निकाली गई। इस आयोजन को छत्तीसगढ़-तेलंगाना के शीर्षस्थ नेताओं की उपस्थिति का भी खबरें हैं। नक्सलियों की केंद्रीय समिति की ओर से इस मौके पर स्मारिका जारी की गई, जिसमें उन्होंने स्वीकारा है कि बीते एक वर्ष में केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो सदस्य सहित 124 नक्सलियों की मौत हुई है। बीस पन्नों के इस किताब में नक्सलियों ने मुठभेड़ में 69, बीमारी से 27, जेल में 3, दुर्घटना में 4 और फर्जी मुठभेड़ में 19 नक्सलियों के मारे जाने की बात लिखी है। इनमें पीएलजीए के 21,डीवीसी के 09, सेंट्रल रिजनल कमेटी के 04 और एसी/पीपीसी के 32 नक्सली सदस्य शामिल हैं। इस किताब में उल्लेखित है कि उड़ीसा, आंध्र, बिहार, झारखंड और पूर्वी बिहार में 27 नक्सली मारे गए हैं। नक्सलियों ने माना है कि बीते एक वर्ष में नक्सली कैडर का जितना नुकसान हुआ, उतना इसके पहले कभी नहीं हुआ था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 3 अगस्त को बीजापुर सुकमा के सरहदी इलाके में छत्तीसगढ़-तेलंगाना के शीर्षस्थ नक्सली लीडरों की उपस्थिति में 64 फीट उंचे नक्सली स्मारक का अनावरण भी इस दौरान किया गया। नक्सलियों द्वारा उक्त नक्सली स्मारक अपने शीर्षस्थ नेताओं में से एक अक्की राजू उर्फ हरगोपाल की स्मृति में बनाया गया है, इस नक्सली स्मारक और मंच से लगी दीवारों पर बीमारी, मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की तस्वीरें भी लगाई थीं।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने नक्सलियों के इस आयोजन के संबंध में उन्होने कहा कि बंदूक का भय दिखाकर निर्दोष ग्रामीणों का वे इस्तेमाल करते रहे हैं। नक्सली इससे पहले इस तरह के आयोजन कई जगहों पर करते थे, लेकिन इसका प्रचार नक्सली नहीं करते थे। नक्सलियों के आधार क्षेत्र के सिमटने से नक्सली बकायदा सोची-समझी रणनीति के तहत धोखा और भ्रम फैलाने के लिए सुनियोजित ढग से विडियो जारी कर उनका प्रभाव और आधार क्षेत्र अब भी बस्तर में कायम है यह प्रर्दशित करने में लगे हुए हैं। जबकि सच इसके विपरीत है, फोर्स लगातार आगे बढ़ रही है, वे सिमट रहे हैं।