रायपुर
सावन में भोलेनाथ के भक्तों ने वैसे तो रोजाना ही कांवड़ यात्रा निकाली लेकिन राजधानी में 5 और 7 अगस्त को निकली दो कांवड़ यात्रा की सियासी शोर ने शहर ही नहीं सूबे में जुबानी जंग छेड़ दी है। इसलिए कि यह कांवड़ यात्रा रायपुर पश्चिम विधानसभा के दो राजनीतिक सूरमाओं की अगुवाई में निकाली गई। पहले विकास उपाध्याय ने पूरे ताम झांम और भारी भीड़ के साथ कांवड़ यात्रा निकाली,स्वंय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसमें शामिल हुए। यात्रा का मार्ग तय था और महादेव घाट पहुंचते तक भव्य स्वागत सत्कार होते रहा। 10 हजार से अधिक भीड़ का दावा उनके ओर से की गई। ठीक एक दिन बाद 7 अगस्त को राजेश मूणत ने उसी मार्ग पर उसी ही तर्ज में कांवड़ यात्रा निकाली और इसमें पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह शामिल हुए और कांवडि?ों को रवाना किया। उन्होने भी इतनी ही संख्या का दावा किया। लोगों ने दोनों ही कांवड़ यात्रा को देखा और आकलन भी करते,लेकिन नजरिया पूरी तरह राजनीतिक था।
यहां तक कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों के बीच का थाह भी नापने लगे लोग। लेकिन इस राजनीतिक दांव पेंच लगाने वालों की बोलती बंद कर दी विधायक विकास उपाध्याय की धर्मपत्नी संजना उपाध्याय ने,वैसे तो वह रविवार को महादेव घाट जा रहे सभी कांवडि?ों का समान रूप से स्वागत कर रही थी,लेकिन जब मूणत के साथ कांवड़ यात्रियों का काफिला पहुंचा तो लोग भी थोड़ी देर के लिए असहज हो गए,लेकिन मंच से संजना जहां फूल बरसा रही थी,वहीं हाथ जोड़कर लोगों का स्वागत-अभिवादन कर रही थीं। तब सारे लोग उनके इस भावनात्मक स्वागत से अभिभूत हो गए और अपनी राजनीतिक प्रतिद्ंदता को भी किनारे कर दिया। स्वंय मूणत ने मुस्कराकर उन्हे साथ यात्रा में चलने का आग्रह किया तो वे कुछ दूर चली भी..। कांवड़ यात्रा में शामिल लोग संजना उपाध्याय के इस स्वागत की दिल खोलकर तारीफ करते रहे। राजनीति के बीच कम से कम इतनी सद्भावना तो बनी रहनी चाहिए जो संजना ने कर दिखाया।