मुंबई
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर से भाजपा का साथ छोड़कर आरजेडी संग सरकार बनाने से शिवसेना खुश हो गई है। उद्धव ठाकरे की लीडरशिप वाली शिवसेना का कहना है कि नीतीश कुमार के इस कदम ने भाजपा के लिए तूफान खड़ा किया है, जो आने वाले समय में चक्रवात में तब्दील होगा। शिवसेना ने कहा कि इससे देश भर में माहौल बनेगा और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह आंधी एक चक्रवात में तब्दील होगी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए लिखा है कि उनका यह फैसला काफी अच्छा है।
'सामना' में शिवसेना ने लिखा कि भाजपा ने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन उन्होंने उलटा झटका देते हुए उससे संबंध ही खत्म कर लिए। यही नहीं शिवसेना ने इसी बहाने एकनाथ शिंदे पर फिर से हमला बोला है। शिवसेना ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने तो दिल्ली दरबार के आगे अपना माथा टेक दिया। यही नहीं शिवसेना ने कहा कि एकनाथ शिंदे को यह समझना चाहिए कि नीतीश कुमार ने रास्ता दिखाया है कि बिना भाजपा के भी रहा जा सकता है। यही नहीं शिवसेना ने नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच लंबे समय से चली आ रही प्रतिस्पर्धा को लेकर भी कहा कि अब यह खत्म हो जानी चाहिए।
शिवसेना ने की तेजस्वी यादव की जमकर तारीफ
शिवसेना ने लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव की भी जमकर तारीफ की है। शिवसेना ने कहा कि तेजस्वी यादव ने ही बीते विधानसभा चुनाव में दिखाया था कि वह अपने दम पर जेडीयू-भाजपा गठबंधन को चुनौती दे सकते हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा कि नीतीश कुमार ने तूफान खड़ा कर दिया है। यह और बढ़ेगा तो चक्रवात में तब्दील हो जाएगा और इससे भाजपा को चुनौती मिलेगी। बता दें कि 2020 के चुनाव में आरजेडी और जेडीयू ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जबकि अब साथ में आ गए हैं। बीते 4 दशकों में लालू यादव और नीतीश कुमार के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं।
जयप्रकाश नारायण की धरती पर हुई क्रांति, देश में दिखेगा असर
शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के साथ मिलकर जेडीयू को ही तोड़ने की कोशिश की थी। अब नीतीश कुमार ने उल्टे झटका दिया है और इसका बड़ा असर होगा। शिवसेना ने कहा कि समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की धरती बिहार में जो राजनीतिक क्रांति हुई है, उसे पूरा देश महसूस कर रहा है। यह नए समीकरण 2024 में भाजपा को चुनौती दे सकते हैं। बता दें कि लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें यूपी में हैं। इसके अलावा 48 सीटें महाराष्ट्र में हैं। इसके अलावा बंगाल में 42 और बिहार में 40 सीटें हैं।