जगदलपुर
बस्तर संभाग में बहने वाली इन्द्रावती, नारंगी व मारकण्डेय नदी में आयी बाढ़ से नदी किनारे के खेत के करीब एक हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में धान की फसल डूब गई। अब बाढ़ का पानी कम होने के साथ ही किसानों को फसल के नुकसान की चिंता सता रही है। किसानों का कहना है कि 36 घंटे से अधिक समय तक फसल के पानी में डूबे रहने से फसल खराब होने का खतरा रहता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दो वर्ष से इन्द्रावती, नारंगी व मारकण्डेय नदी में कम बाढ़ आ रही थी, जिसके कारण नदी किनारे खेत की फसल को नुकसान नहीं हो रही थी। इस वर्ष अब तक दो बार बाढ़ आ चुकी है, लेकिन पहली बाढ़ का पानी एक दिन में ही कम हो गया था, लेकिन हाल ही में आयी बाढ़ की पानी दो दिनों से खेतों में भरा हुआ था। अब बाढ़ का पानी कम होने के साथ ही किसानों को फसल के नुकसान की चिंता सता रही है।
उप संचालक, कृषि श्याम सेवता का कहना है कि बाढ़ का पानी कम होने के बाद इसका आंकलन के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कितना फसल बाढ़ की पानी में डूबा था और कितना नुकसान हुआ है फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता।