कोलकाता
मवेशियों की तस्करी के मामले में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल गिरफ्तार हो गए। शायद यह पहली बार होगा जब बीरभूम के यह बाहूबली नेता किसी के सामने परेशान नजर आ रहे हैं। खबर है कि जिले में मंडल का दबदबा इतना ज्यादा था कि जिले से जुड़े हर फैसले में अंतिम सहमति उनकी ही होती थी। इतना ही नहीं इसके लिए उन्होंने अपना एक सिस्टम भी तैयार कर रखा था। गुरुवार को सीबीआई ने उन्हें बीरभूम स्थित आवास से उन्हें गिरफ्तार किया। कथित तौर पर जांच में सहयोग नहीं करने के चलते उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों का कहना है कि वह बीरभूम के राजा थे। आरोप लगाए जा रहे हैं कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों समेत पुलिस अधिकारियों को उनकी बात सुननी पड़ती थी। लोगों के मुताबिक, बीरभूम में लंबे समय से टिके हुए कुछ अधिकारियों के मंडल के साथ अच्छे संबंध हो गए थे। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया कि 2013 के आसपास उन्होंने एक सिस्टम तैयार कर लिया था, जिसके जरिए जिले के हर अहम फैसले में उनकी अंतिम सहमति लेना जरूरी था। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि बीरभूम कोयला, मवेशी और रेत की तस्करी का केंद्र रहा है। उनका कहना है कि यहां कि हवा में पैसा बहता है। वहीं, कथित तौर पर मंडल को भी इसका हिस्सा मिलता है।
रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मवेशी तस्करी की चार्जशीट में शामिल अब्दुल लतीफ गोरू हाय यानी मवेशी बाजार का मालिक और बड़ा डीलर था। सप्लिमेंट्री चार्जशईट में कहा गया है कि तलीफ, मंडल के बॉडीगार्ड सैगल हुसैन से बात करता था। फिलहाल, सीबीआई इससे जुड़े सवालों को जवाब तलाश रही है।
विरोध तो हुआ लेकिन…
खबर है कि पहले मंडल की पार्टी के ही लोग उनके विरोध में थे। स्थानीय निवासी बताते हैं कि एक समय पर टीएमसी नेता मुकुल रॉय का समर्थन कर रही लॉबी मंडल के खिलाफ खड़ी हो गई थी, लेकिन समय के साथ वह बात कहीं गायब हो गई।
10 बार भेजा गया समन
गुरुवार को गिरफ्तार करने के बाद मंडल को शुक्रवार सुबह कोलकाता लाया गया है। सीबीआई आज से पूछताछ शुरू करने जा रही है। खास बात है कि इससे पहले जांच एजेंसी की तरफ से 10 बार टीएमसी नेता को तलब किया गया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। गुरुवार को मंडल को आसनसोल में विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया था, जहां से उन्हें 10 दिनों की सीबीआई हिरासत में भेजा गया है।