नई दिल्ली
पूर्व राजनयिक और जेडीयू के नेता रह चुके पवन वर्मा ने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया है। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नीतीश कुमार के स्टैंड पर पवन वर्मा ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद जेडीयू से उन्हें निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद वह ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हो गए थे। पवन वर्मा ने ट्विटर पर ही टीएमसी से इस्तीफा देने का शुक्रवार को ऐलान कर दिया। पवन वर्मा ने ट्वीट किया, 'ममता जी, कृपया टीएमसी से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। मैं आपका धन्यवाद देता हूं कि आपने मेरा इतना गर्मजोशी के साथ टीएमसी में स्वागत किया था। ऑल द बेस्ट।'
उनके इस कदम के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि वह एक बार फिर से नीतीश कुमार के साथ ही जा सकते हैं। नीतीश कुमार ने पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को 2020 में पार्टी से बाहर कर दिया था। दोनों ही नेताओं को नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने पर पार्टी से हटाया गया था। तब पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को एक चिट्ठी भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने भाजपा के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन को लेकर आपत्ति जाहिर की थी। इस लेटर को उन्होंने सार्वजनिक भी कर दिया था। राज्यसभा के सांसद रहे पवन वर्मा ने कहा था कि नीतीश कुमार ने भाजपा और आरएसएस के आगे सरेंडर कर दिया है।
इस पर नीतीश कुमार भड़क गए थे और पवन वर्मा से कहा था कि वह जहां चाहें जा सकते हैं। यही नहीं नीतीश कुमार ने जब उन्हें पार्टी से हटा दिया था, तब उसकी जानकारी भी पवन वर्मा ने ट्विटर के जरिए ही दी थी। पवन वर्मा ने ट्वीट किया था, 'धन्यवाद नीतीश जी। आपने मुझे ऐसी भूमिका से आजाद कर दिया, जहां आपकी गलत नीतियों के लिए भी आपका मुझे बचाव करना होता था। मैं आपकी इस महत्वाकांक्षा के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं कि आप किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री बने रहें।' बीते कुछ महीनों में टीएमसी छोड़ने वाले राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में पवन वर्मा दूसरे लीडर हैं।