काले कपड़ों में आया हमलावर, सलमान रुश्दी पर टूट पड़ा; जिंदा हैं मशहूर लेखक

 न्यूयार्क।
 
सलमान रुश्दी मंच पर साक्षात्कार देने ही जा रहे थे तभी काला कपड़ा और मास्क पहना व्यक्ति छलांग लगाकर स्टेज पर चढ़ा और हमला कर दिया। वहां मौजूद लोग दौड़कर उन्हें मदद देने पहुंचे और हमलावर को काबू में कर लिया। रुश्दी कोई पांच मिनट तक जमीन पर पड़े रहे। उसके बाद उन्हें उठाया गया और हेलीकॉप्टर के ज़रिए अस्पताल पहुंचाया गया। देर रात तक उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ये यकीन करना मुश्किल है कि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा नहीं थी। शायद हमला कार्यक्रम शुरू होने के कुछ सेकंड के भीतर ही हो गया था। वहां मौजूद लोग अभी सकते में हैं। घटनास्थल से रुश्दी को देख रही एक डॉक्टर ने मीडिया को बताया कि रुश्दी को 10 से 15 बार चाकू मारा गया है जिसमें गर्दन के दाईं ओर का हिस्सा भी शामिल है। रुश्दी जहां गिरे हुए थे वहां काफी खून जमा हो गया था। उस समय सीपीआर नहीं दिया जा रहा था और वह जिंदा दिख रहे थे। उनकी नब्ज चल रही थी।

सलमाल रुश्दी जीवित हैं : न्यूयॉर्क गवर्नर
 रुश्दी पर हुए हमले को लेकर न्यूयॉर्क राज्य की गवर्नर कैथी होचुल ने कहा, हमले के बाद रुश्दी जीवित हैं। उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। होचुल ने कहा, रुश्दी ने सत्ता के खिलाफ सच बोलने में दशकों बिताए हैं, धमकियों के बावजूद उन्होंने बेखौफ जीवन जिया है। उन्होंने कहा, एक स्थानीय अस्पताल में रुश्दी का इलाज चल रहा है। होचुल ने कहा कि हम इस हिंसक घटना की निंदा करते हैं।

किताब पर मिली थी सिर कलम करने की धमकी
मशहूर लेखक सलमान रुश्दी का विवादों से गहरा नाता रहा है। कभी उनकी लिखी किताबों की वजह से तो कभी उनके बयानों की वजह से वह लोगों के निशाने पर रहे हैं। उनके उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेस’ को मुस्लिम समुदाय के लोग ईशनिंदा मानते रहे हैं और ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने मौत का फतवा जारी कर दिया था। जिसके बाद इन्हें कई सालों तक छिप कर रहना पड़ा। रुश्दी ने कई बार अपने साक्षात्कार में कहा था कि उनके उपन्यास पर पाबंदी बिना जांच पड़ताल के पाबंदी लगाई गई है।

अनुवादक की भी हत्या
नाराजगी इतनी ज्यादा थी कि ‘द सैटेनिक वर्सेस’ उपन्यास के जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की हत्या कर दी गई थी, जबकि इटैलियन अनुवादक और नॉर्वे के प्रकाशक पर भी हमले हुए। कई देशों में इस किताब को लेकर भारी बवाल तक हुआ था। भारत के मुसलमान संगठनों ने बार बार रुश्दी पर एतराज जताया है।

रुश्दी का जीवन परिचय
सफल व्यवसायी के बेटे सलमान रुश्दी का जन्म 1947 को मुंबई में एक मुस्लिम परिवार में हुआ। उनकी शिक्षा इंग्लैंड के रग्बी स्कूल में हुई। उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास की पढ़ाई की थी। पढ़ाई खत्म कर ये अपने मां-बाप के पास पाकिस्तान चले गए, जहां इनके अभिभावक साल 1964 में शिफ्ट हो गए थे। विज्ञापन की दुनिया से अपना करियर शुरू करने वाले रुश्दी बाद में पूर्णकालिक लेखक हो गए। उनका पहला उपन्यास ‘ग्रिमस’ 1975 में आया था लेकिन पाठकों ने कोई खास नोटिस नहीं लिया था। दूसरे उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ को बुकर सम्मान मिला।

जयपुर में हुआ था बवाल
जनवरी 2012 में रुश्दी जयपुर लिटरेचर फेस्ट के लिए भारत आने वाले थे। कई मुस्लिम संगठनों से लगातार मिल रही धमकियों के चलते उन्होंने दौरा टाल दिया। रुश्दी ने कहा था कि अंडरवर्ल्ड उनकी हत्या के फिराक में है। लिहाजा, जयपुर आकर खुद के चलते दूसरों की जान खतरे में नहीं डाल सकते।

33 लाख डॉलर का इनाम
ईरान की सरकार ने लंबे समय से अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी के फतवे से खुद को दूर रखा है लेकिन ईरान में अभी भी रुश्दी विरोधी भावना बनी हुई है। 2012 में एक ईरानी धार्मिक फाउंडेशन ने रुश्दी के सिर पर रखे इनाम को 28 लाख डॉलर से बढ़ाकर 33 लाख डॉलर कर दिया।

ब्रिटेन में हुआ था हंगामा
रुश्दी को उनके उन्मुक्त बयानों के लिए जाना जाता है। एक बार उन्होंने कहा था कि ‘धार्मिक उन्माद, राजनीतिक मौकापरस्ती और जनता की लापरवाही की वजह से वह आजादी सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है, जिस पर दूसरी आजादियां कायम हैं, बोलने की आजादी।’

इतिहास पसंदीदा विषय
सलमान रुश्दी इतिहास को अपने लेखन का विषय बनाते हैं और फिर अपनी अद्भुत कल्पनाशीलता के साथ इसके इर्दगिर्द कहानी बुनते हैं। उनकी कहानियां भारत और पाकिस्तान की जमीन पर बुनी जाती हैं। रुश्दी का उपन्यास ‘द गोल्डन हाउस’ 2017 आया था। ये कहानी एक रईस परिवार की है जो मुंबई से न्यूयॉर्क आ जाते हैं।

 

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