नई दिल्ली।
हुआवेई टेलीकॉम (इंडिया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ली ज़िओंगवेई ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा, "मैं एक चीनी हूं और मैं आतंकवादी नहीं हूं।" जाहिर तौर पर उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म से यह लाइन उधार ली है। उनकी यह टिप्पणी उनके वकील विजय अग्रवाल द्वारा दायर जमानत याचिका पर आयकर (आईटी) विभाग के विरोध के जवाब में की गई थी। विभाग ने कोर्ट से याचिका खारिज करने की अपील की थी। आपको बता दें कि फिल्म माई नेम इज खान में शाहरुख खान ने कहा था, "माई नेम इज खान एंड एम नॉट अ टेररिस्ट" आयकर विभाग ने अदालत से कहा कि भारत की चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है। अगर सीईओ चीन के लिए रवाना हो जाता है तो उसे वापस लाना बहुत मुश्किल होगा। विभाग ने अपने हलफनामे में कहा कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है।
आयकर विभाग द्वारा उनके खिलाफ जारी लुक-आउट नोटिस को रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया गया है। लुक-आउट सर्कुलर या एलओसी किसी व्यक्ति को विदेश यात्रा करने से रोकता है। आपराधिक मामलों में आरोपी लोगों को देश छोड़ने से रोकने के लिए अधिकारी इसका इस्तेमाल करते हैं। वे आमतौर पर हवाई अड्डे पर ही उनके खिलाफ इस तरह के प्रतिबंधों के बारे में पता लगाते हैं।
विभाग की मांग पर आपत्ति जताते हुए अग्रवाल ने कहा कि यह परेशान करने वाला है कि विभाग जमानती अपराध में जमानत का विरोध कर रहा है। यह दावा करते हुए कि ली के खिलाफ जारी एलओसी शक्ति का दुरुपयोग है, अग्रवाल ने कहा कि इस तरह का प्रतिबंध केवल संज्ञेय अपराध के लिए जारी किया जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि ली को शामिल करने वाला अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध है।
फैसला अगले हफ्ते
पीठ ने ली के वार्षिक वेतन के बारे में पूछताछ की और उनके वकील से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अगले सप्ताह तक दो जमानतदारों की व्यवस्था की जाए। इसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने ली के भारत में रिश्तेदारों और संपत्तियों के बारे में भी पूछताछ की। अदालत के सवाल पर ली के वकील ने देश छोड़ने से पहले आई-टी विभाग को सात दिन की अग्रिम सूचना देने की बात कही है। अपने हलफनामे में आयकर विभाग ने कहा कि सीईओ के खिलाफ एलओसी सही और कानून के प्रावधानों के अनुसार है। विभाग ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में एलओसी को रद्द करने का कोई आधार नहीं है। हलफनामे में कहा गया है कि "अभियोजन और जांच एजेंसियों के हितों की रक्षा के साथ एक व्यक्ति के अधिकारों को संतुलित करने की आवश्यकता है। वर्तमान मामले में सबसे महत्वपूर्ण देश का आर्थिक हित होगा।"
आपको बता दें कि एक मई को चीनी नागरिक ली को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था। हुआवेई टेलीकॉम (इंडिया) की ओर से एक बैठक में भाग लेने के लिए बैंकॉक जाने की उन्हें अनुमति नहीं दी गई थी। उनका बोर्डिंग पास रद्द कर दिया गया और उन्हें वापस नहीं किया गया। उन्होंने एलओसी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। ली ने आईटी विभाग की कार्रवाई को उनकी प्रतिष्ठा के साथ-साथ हुआवेई इंडिया की प्रतिष्ठा के लिए बड़ा झटका करार दिया। इसके जवाब में आकर विभाग ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया था कि ली के खिलाफ एक LOC जारी किया गया था। हुआवेई ने असहयोग के आरोपों से इनकार किया है।