कम्पलीट बिजनेस साल्यूशन वाले फ्यूचर रेडी स्टेट म.प्र. में निवेशकों का बढ़ा रूझान

भोपाल

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश को कंपलीट बिजनेस साल्यूशन के साथ फ्यूचर रेडी स्टेट बनाने से प्रदेश में निवेश के लिए देश-विदेश के निवेशकों का रूझान बढ़ रहा है।

यहाँ बिजनेस स्टार्ट करने के लिये शासकीय अनुमतियों से लेकर इंडस्ट्री प्रारंभ करने के बाद उसके सफल संचालन के लिये आवश्यक सभी सुविधाएँ आसानी से प्राप्त हो जाती हैं।

भारत में निवेश के लिए सर्वोत्तम राज्य

क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा राज्य मध्यप्रदेश भारत का हृदय है और आज ये सबसे तेज गति से विकास पथ- पर अग्रसर है। राज्य प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों से संपन्न है। राज्य में 95 से अधिक औद्योगिक क्षेत्र, 7 स्मार्ट सिटी और बेहतरीन यातायात व्यवस्था है।

राज्य में खेती एवं प्रोसेसिंग क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, जिससे औद्योगिक निवेश के लिए माहौल बन रहा है। इसके साथ ही फार्मास्यूटिकल ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग, टेक्सटाईल, लॉजिस्टिक, आईटी, अक्षय ऊर्जा, पर्यटन, शहरी विकास ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ निवेश की अपार संभावनाएँ हैं।

राज्य में कुशल मानव संसाधन और उचित मूल्य पर भूमि की उपलब्धता, राज्य में औद्योगिक वातावरण को तैयार करती है। सरकार की नीति और प्रशासन का सहयोग इस दिशा में मददगार साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वह सभी कुछ है, जो निवेश के लिए आवश्यक है।

विश्व-स्तरीय कनेक्टिविटी

देश के केंद्र में स्थित होने के कारण मध्यप्रदेश की सीमा देश के 5 राज्यों से लगती है और यह देश की तकरीबन 50 प्रतिशत आबादी को प्रवेश देता है। यह देश के किसी भी उपभोक्ता बाजार से अधिकतम 15 घंटे की दूरी पर स्थित है। भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर, खजुराहो में कुल 5 कॉमर्शियल हवाई अड्डे हैं। 20 से अधिक रेल जंक्शन और राज्य में 550 से अधिक ट्रेनें संचालित होती है। मालनपुर, मंडीदीप, पवारखेड़ा, रतलाम, तिही, धन्नद में 6 इनलैंड कंटेनर डिपो हैं।

मध्यप्रदेश देश के कई बड़े प्रोजेक्टस से जुड़ा हुआ है। दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक कॉरिडोर के तहत मध्य प्रदेश के हिस्से में औद्योगिक क्षेत्र विक्रम उद्योगपुरी, उज्जैन आया है। नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के लिए साथ विकसित दिल्ली- नागपुर कॉरिडोर से आर्थिक गतिविधियों में आश्चर्यजनक रूप से उछाल आएगा। ग्वालियर से होकर जाने वाले ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (एन.एच.27) को उत्तर भारत में प्रवेश करने के लिए मध्यप्रदेश का गेटवे कहा जाता है। दिल्ली-मुम्बई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के प्रदेश से गुजरने के कारण प्रदेश की कनेक्टिविटी बढ़ गई है और औद्योगिक क्षेत्र में विकास हुआ है। रतलाम- दिल्ली-मुम्बई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का केंद्र है।

म.प्र. में उद्योग के प्रमुख सेक्टर्स का हुआ विकास

मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण सेक्टर्स का चुनाव किया है, जो सरकार की 550 बिलियन अमरीकी डॉलर अर्थ-व्यवस्था की सोच को साकार करने में सहयोग करेंगे।

ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग सेक्टर

ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 10 से अधिक उपकरण निर्माता और 200 से अधिक ऑटो कंपोनेंट निर्माता कार्यरत हैं। इन्दौर और भोपाल में भारत के अग्रणी ऑटो क्लस्टर्स हैं। पीथमपुर में 4500 हेक्टेयर में विकसित औद्योगिक क्लस्टर 25 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है। इंदौर में एशिया का सबसे लंबे और तेज गति के टेस्टिंग ट्रेक नेट्रेक्स की स्थापना की गई है।

फूड प्रोसेसिंग एवं कृषि सेक्टर

मध्यप्रदेश को भारत का फूड बास्केट कहा जाता है। यहाँ 45 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि है, जो 10 प्रमुख नदियों से जुड़ी है। इस वजह से जिसके कारण राज्य में उत्तम सिंचाई व्यवस्था है। प्रदेश उद्यनिकी फसलों, मसालों, संतरा, अदरक, लहसुन आदि के उत्पादन में अग्रणी है। मध्यप्रदेश दलहन, तिलहन एवं डेयरी उत्पाद में भी अग्रणी है। राज्य में 8 सरकारी फूड पार्क और 2 निजी मेगा फूड पार्क है। इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर में सरकारी कृषि कॉलेज संचालित हैं। प्रदेश को 7 बार भारत सरकार से कृषि क्षेत्र का प्रतिष्ठित "कृषि कर्मण" पुरस्कार मिलना प्रदेश की उन्नत कृषि का संकेत है।

टेक्सटाईल एवं गारमेंट सेक्टर

मध्यप्रदेश में टेक्सटाईल एवं गारमेंट सेक्टर में भी सतत् प्रगति हो रही है। राज्य 43 प्रतिशत भारतीय और 24 प्रतिशत वैश्विक जैविक रूई का उत्पादक है। यहाँ 60 से अधिक टेक्सटाईल यूनिट में 4 हजार से अधिक लूम्स और 2.5 मिलियन स्पिंडल्स संचालित हैं। राज्य के टेक्सटाईल सेक्टर में स्पिनिंग से लेकर बुनाई, गारमेंटिंग की सभी प्रक्रिया रूप से संचालित हैं। भारत सरकार की पीएलआई योजना में राज्य के टेक्सटाईल सेक्टर को 3513 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ है। गारमेंट यूनिट के प्लांट एवं मशीनरी में निवेश का 200 प्रतिशत तक का पॉलिसी इंसेंटिव दिया जाता है। प्रदेश में 200 से अधिक रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर एवं इन्दौर में अपैरल डिजाइनिंग सेंटर स्थित है। एनआईएफटी, एनआईडी भोपाल और आईआईआईटीडीएम जबलपुर जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट मध्यप्रदेश के टेक्सटाईल उद्योग की रीढ़ हैं।

फार्मास्यूटिकल सेक्टर

मध्यप्रदेश में फार्मास्यूटिकल सेक्टर भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। कोरोना काल में यहाँ की दवाइयाँ विदेशों में निर्यात की गईं। इन्दौर, देवास, भोपाल, मंडीदीप, मालनपुर और पीथमपुर स्पेशल इकोनॉमिक जोन में फार्मा क्लस्टर है। यहाँ 300 फार्मा एवं मेडिकल यूनिट से 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। विक्रम उद्योगपुरी, उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना की गई है। साल 2021 में राज्य से 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का फार्मा निर्यात किया गया। अमेरीका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, ब्राजील, हॉलैंड सहित विश्व के 160 से अधिक देशों में राज्य में बनने वाली दवाइयाँ निर्यात की जा रही हैं। राज्य को एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त 73 फार्मेसी इंस्टीट्यूट से 9 हजार से अधिक स्किल्ड प्रोफेशनल प्रतिवर्ष प्राप्त हो रहे हैं। फार्मा सेक्टर के विकास और क्षमता को देखते हुए प्रदेश में फार्मा औद्योगिक पार्क की स्थापना का प्रस्ताव भी विचाराधीन है।

लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउसिंग सेक्टर

मध्यप्रदेश में लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउसिंग के लिए आदर्श सड़कें एवं रेल कनेक्टिविटी है। देश के केंद्र में स्थित होने के कारण लॉजिस्टिक का खर्च बेहद कम है। देश की 50 प्रतिशत आबादी मध्यप्रदेश से जुड़ी हुई है। इससे विशाल उपभोक्ता बाजार पर नियंत्रण किया जा सकता है। प्रदेश में 40 एमएमटी की वेयरहाउसिंग और 13.2 एमएमटी की कोल्ड स्टोरेज क्षमता है। भारत सरकार के सहयोग से इंदौर और भोपाल में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण प्रस्तावित है। प्रदेश स्टील साइलो निर्माण के क्षेत्र में भी अग्रणी है। प्रदेश में लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउसिंग इकाई / पार्क के लिए आकर्षक इंसेंटिव पॉलिसी है।

अक्षय ऊर्जा सेक्टर

मध्यप्रदेश अक्षय ऊर्जा के सृजन लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। राज्य की अक्षय ऊर्जा की क्षमता साल 2012 की तुलना में 11 गुना बढ़ गई है। सर्वाधिक सोलर रेडिएशन के कारण राज्य सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने के लिए आदर्श स्थान है। तकनीकी रूप से मजबूत अक्षय ऊर्जा पॉलिसी बनाकर अक्षय ऊर्जा उपकरण निर्माण और इनोवेशन करने वाला पहला राज्य है। अक्षय ऊर्जा का मध्य प्रदेश की ऊर्जा क्षमता में 20 प्रतिशत का योगदान है। साँची को राज्य की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया गया है। विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पार्क (600 मेगावाट) ओंकारेश्वर में प्रस्तावित है। रीवा सोलर पॉवर प्रोजेक्ट को वर्ल्ड बैंक ग्रुप प्रेसीडेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

रक्षा क्षेत्र एवं एयरोस्पेस सेक्टर

मध्यप्रदेश रक्षा उपकरण निर्माण के लिए आदर्श राज्य है। यहाँ रेअर अर्थ मेटल प्रोसेसिंग, अनुसंधान एवं विकास ट्रेनिंग के लिए भोपाल में रेयर अर्थ एंड टाइटेनियम थीम प्रस्तावित है। राज्य में 4 पीएसयू जबलपुर और 1-1 पीएसयू कटनी और इटारसी में है। प्रदेश में भारत की पहली निजी क्षेत्र की लघु हथियार निर्माण यूनिट स्थापित की गई है। 5 कॉमर्शियल हवाई अड्डे तथा भोपाल और इंदौर के हवाई अड्डे एमआरओ गतिविधियों के लिए उपयुक्त हैं। यहाँ इंडस्ट्री एवं सिविल हवाई सेवा के लिए 26 एयर स्ट्रिप हैं। मेगा इन्वेस्टमेंट रीजन के साथ इंदौर के समीप ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रस्तावित है।

आईटी, आईटीईएस, ईएसडीएम सेक्टर

राज्य में 150 से अधिक ईएसडीएम यूनिट और 220 से अधिक आईटी/आईटीईएस यूनिट मौजूद हैं। राज्य में 4 स्पेशल आईटी इकोनॉमिक जोन, 10 आईटी पार्क, 2 मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर मौजूद हैं। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर में हर तरह की सुविधाओं से युक्त बुनियादी ढाँचा है। राज्य में आईआईटी, आईआईएम, आईआईएसईआर, आईआईटीएम जैसे 330 से अधिक तकनीकी इंस्टीट्यूट स्किल्ड प्रोफेशनल को तैयार कर रहे हैं। राज्य में जीवन जीने के लिए बेहतरीन माहौल उपलब्ध है। इन्दौर और भोपाल देश के 10 सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल हैं। उचित दर पर 24X7 निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुविधा है। यहाँ लो रिस्क सीस्मिक जोन के कारण डाटा सेंटर स्थापित करने के लिए आदर्श स्थिति है।

मध्यप्रदेश स्टार्ट अप इकोसिस्टम

मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप पॉलिसी 2022 के तहत राज्य में स्टार्ट अप्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्पाद आधारित स्टार्ट अप को विशेष सहायता दी जा रही है। हर तरह के आर्थिक सहयोग और जानकारी के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। राज्य में 2500 से अधिक डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप्स और 45 से अधिक इनक्यूबेटर सेंटर स्थित है। महिला उद्यमियों द्वारा 1100 से अधिक स्टार्ट अप संचालित किये जा रहे हैं। राज्य में 26 लाख से अधिक एमएसएमई इकाईयाँ हैं जिनका राज्य की जीडीपी में 25.68 प्रतिशत योगदान है।

 

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