भोपाल
भोपाल में हुए करणी सेना के आंदोलन को शांतिपूर्वक खत्म करवाने में मंत्री से लेकर पुलिस अफसरों की भूमिका खासी महत्वपूर्ण रही। करणी सेना का आंदोलन जंबूरी मैदान से होते हुए सड़क तक उतर गया था, लेकिन गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के साथ ही एडिश्नल पुलिस कमिश्नर सचिन अतुलकर और एडिश्नल डीसीपी राजेश भदौरिया ने दिन रात एक कर इन्हें नियंत्रित रखा। अब करणी सेना की 21 मांगों में से 18 मांगों पर सहमति बन गई है। करणी सेना की मांगों को माने जाने को लेकर सबसे महत्वपूर्ण रणनीति गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बंगले पर बनी। जहां पर मिश्रा और सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया दोनों साथ बैठे। इसके बाद यहां से अरविंद भदौरिया धरना स्थल पहुंचे। जहां पर उन्होंने करणी सेना के पदाधिकारियों की मांगों में से 18 मांगों को पूरा करने के लिए एसीएस स्तर के अफसरों की कमेटी बनाने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही उन्होंने वहीं पर इन अफसरों की कमेटी बना दी। अरविंद भदौरिया ने आंदोलन को समाप्त करने के लिए बहुत की गंभीरता के साथ करणी सेना के सामने सरकार की बात भी रखी और उन्हें इस बात के लिए राजी कर लिया कि आंदोलन समाप्त किया जाए। इसके बाद भदौरिया ने अनशन पर बैठे करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर और पदाधिकारियों को जूस पिलाकर आंदोलन समाप्त करवाया।
ये अफसर शुरू से रहे सक्रिय
एडिश्नल पुलिस कमिश्नर सचिन अतुलकर और राजेश भदौरिया यह जान चुके थे कि आंदोलन कुछ दिन चल सकता है। सचिन अतुलकर रविवार से ही गोविंदपुरा थाने में अपना डेरा जमा लिया था, इस दौरान आंदोलनकारियों से लगातार बातचीत कर उनकी बात सरकार से करवाने का प्रयास करते रहे। इधर राजेश भदौरिया आंदोलन स्थल पर मुस्तैदी के साथ खड़े रहे और इनको आगे बढ़ने से रोकने के लिए समझाते रहे।