भोपाल
प्रदेश में बाढ़, ओलावृष्टि और अन्य तरह की प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों की फसल चौपट होने के बाद उसके मुआवजे के निर्धारण को लेकर होने वाले विवाद के निपटारे के लिए राज्य सरकार राजस्व व कृषि विभाग के अफसरों के माध्यम से एक मॉडल तैयार कर रही है। इस मॉडल के माध्यम से फसल सर्वे की सटीक और साइंफिटिक सिस्टम से कार्यवाही की जानी है। सरकार की प्लानिंग है कि अगले माह फरवरी तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा और इसके बाद किसानों के लिए इसे लागू किया जाएगा। प्रदेश में पिछले पांच सालों में किसानों के हित में लिए गए फैसलों की कड़ी में राज्य सरकार अब फसल सर्वे के विवादों को लेकर भी गंभीर है। सर्वे को लेकर पटवारियों, राजस्व निरीक्षकों और तहसीलदारों पर आरोप लगते हैं कि सही सर्वे नहीं कराने से मुआवजा कम मिला है या मुआवजे के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया है। इसी के चलते सरकार ने इस पर काम कर रही है कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में फसल खराब होने पर सर्वे सटीक एवं वैज्ञानिक पद्धति से किया जाए। इसके लिए कृषि विभाग के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया जाए।
सीमांक एप से भूमि उपयोग की जानकारी
राजस्व विभाग इसके अलावा नगरीय विकास और आवास विभाग व वन विभाग के साथ भी एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसमें सरकार ने यह तय किया है कि भूमि उपयोग की जानकारी एक सेवा के रूप में प्रदाय करने के लिए नगरीय आवास एवं विकास विभाग तथा वन विभाग से समन्वय कर कार्यवाही की जाए। बताया जाता है कि नगरीय सर्वेक्षण के पायलट चरण का कार्य पूर्ण होने के उपरांत सीमांक एप के माध्यम से यह सेवा प्रदान करने की कार्य योजना बनाई जाएगी।