भोपाल
न्यायिक सेवाओं तक आम नागरिकों की पहुँच आसान बनाने में ई-कोर्ट सेवा केन्द्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मध्यप्रदेश में हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में स्थापित ई-सेवा केन्द्र आम नागरिकों, अधिवक्ताओं और कोर्ट से संबंधित दस्तावेज इलेक्ट्रानिक रूप से उपलब्ध कराने में न्याय प्रक्रिया और नागरिकों के बीच सेतु साबित हुआ है।
ई–सेवा केंद्र, वाद की स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त करने और निर्णयों और आदेशों की प्रतियाँ प्राप्त करने में मददगार साबित हुआ है। यह केंद्र मामलों की ई–फाइलिंग में भी सहायता दे रहा है। न्याय तक आम आदमी की पहुँच बनाने और उनको न्याय प्राप्त करने का अधिकार देने में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। ई-सेवा केन्द्र सुबह दस बजे से खुलता है और शाम पाँच बजे तक अनवरत सेवाएँ प्रदान करता है। इस केन्द्र में दो कम्प्यूटर सिस्टम हैं। इन्हें भूपेन्द्र सिंह धाकड़ और धर्मेश यशपाल संचालित करते हैं।
धाकड़ बताते हैं कि ई-सेवा केन्द्र से आम लोगों को बहुत सुविधा मिल गई है। अब उन्हें अपने कोर्ट केस और अन्य जानकारी और दस्तावेज के लिये ज्यादा पूछताछ नहीं करना पड़ता। एक ही जगह सब जरूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है। सुविधाओं के संबंध में पूछने पर धाकड़ ने बताया कि वाद की स्थिति, सुनवाई की अगली तारीख और अन्य संबंधित जानकारी मिल जाती है। प्रमाणित प्रतियों के लिए ऑनलाइन आवेदन हो जाता है। याचिकाओं की ई–फाइलिंग को आसान बनाने के लिए याचिकाओं की हार्ड कॉपी की स्केनिंग से लेकर ई–सिग्नेचर जोड़ना, उनको अपलोड करना और दायरा संख्या जनरेट करने जैसे काम आसान हो गये हैं।
ई-सेवा केन्द्र के अन्य संचालक धर्मेश बताते हैं कि ई–भुगतान/ई–स्टाम्प पेपर की ऑनलाइन खरीद में बहुत मदद मिली है। आधार आधारित डिजिटल हस्ताक्षर के लिए आवेदन करने में हम मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि सुविधाएँ उपलब्ध कराने के अलावा ई–कोर्ट के मोबाइल ऐप को डाउनलोड करने में और इसकी उपयोगिता बताने में भी आम नागरिकों की मदद करते हैं। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति और उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति से निःशुल्क विधिक सेवाओं का लाभ लेने के लिए भी लोगों को बताते हैं। यदि किसी को न्यायिक आदेशों या निर्णयों की सॉफ्ट प्रतियाँ चाहिए तो वह भी हम उपलब्ध कराते हैं।
उल्लेखनीय है कि ई-सेवा केन्द्रों की स्थापना ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के अंतर्गत की गई है। ई-कोर्ट परियोजना की संकल्पना “भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना- 2005” के आधार पर की गई थी। इसे ई-समिति, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायपालिका को न्यायालयों की आईसीटी क्षमता द्वारा बदलने की दृष्टि से बनाया गया है। ई-कोर्ट प्रोजेक्ट वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को ई-कोर्ट परियोजना सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षम अदालतों के माध्यम से सेवाएँ प्रदान करने की एक रचनात्मक पहल है। यह परियोजना नागरिक केंद्रित सेवाओं को तत्काल और समयबद्ध तरीके से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है। यह न्यायिक प्रक्रिया और उत्पादकता को दोनों- गुणात्मक तरीके से बढ़ाने और न्याय प्रणाली को किफायती और नागरिकों के लिए पारदर्शी बनाने में सहयोगी है।